Sunday, September 9, 2018

कुलधरा

 “कुलधरा” – एक श्राप के कारण 170 सालों से हैं
वीरान  रात को रहता है भूत प्रेतों का डेरा



Kuldhara History In Hindi :   

 हमारे देश भारत के कई शहर अपने दामन में कई रहस्यमयी घटनाओ को समेटे हुए है ऐसी ही एक घटना हैं राजस्थान के जैसलमेर जिले के कुलधरा(Kuldhara) गाँव कि, यह गांव पिछले 170 सालों से वीरान पड़ा हैं। कुलधरा(Kuldhara) गाँव के हज़ारों लोग एक ही रात मे इस गांव को खाली कर के चले गए थे  और जाते जाते श्राप दे गए थे कि यहाँ फिर कभी कोई नहीं बस पायेगा। तब से गाँव वीरान पड़ा हैं।

कहा जातै हे कि यह गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में हैं, कभी एक हंसता खेलता यह गांव आज एक खंडहर में तब्दील हो चुका है| टूरिस्ट प्लेस में बदल चुके कुलधरा गांव घूमने आने वालों के मुताबिक यहां रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की आहट आज भी सुनाई देती है। उन्हें वहां हरपल ऐसा अनुभव होता है कि कोई आसपास चल रहा है। बाजार के चहल-पहल की आवाजें आती हैं, महिलाओं के बात करने उनकी चूडिय़ों और पायलों की आवाज हमेशा ही वहां के माहौल को भयावह बनाते हैं। प्रशासन ने इस गांव की सरहद पर एक फाटक बनवा दिया है जिसके पार दिन में तो सैलानी घूमने आते रहते हैं लेकिन रात में इस फाटक को पार करने की कोई हिम्मत नहीं करता हैं।



कुलधरा के वीरान होने कि कहानी (Story of Kuldhara)

जो गाँव इतना विकसित था तो फिर क्या वजह रही कि वो गाँव रातों रात वीरान हो गया। इसकी वजह था गाँव   का अय्याश दीवान सालम सिंह जिसकी गन्दी नज़र गाँव कि एक खूबसूरत लड़की पर पड़ गयी थी। दीवान उस लड़की के पीछे इस कदर पागल था कि बस किसी तरह से उसे पा लेना चाहता था। उसने इसके लिए ब्राह्मणों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। हद तो तब हो गई कि जब सत्ता के मद में चूर उस दीवान ने लड़की के घर संदेश भिजवाया कि यदि अगले पूर्णमासी तक उसे लड़की नहीं मिली तो वह गांव पर हमला करके लड़की को उठा ले जाएगा। गांववालों के लिए यह मुश्किल की घड़ी थी। उन्हें या तो गांव बचाना था या फिर अपनी बेटी। इस विषय पर निर्णय लेने के लिए सभी 84 गांव वाले एक मंदिर पर इकट्ठा हो गए और पंचायतों ने फैसला किया कि कुछ भी हो जाए अपनी लड़की उस दीवान को नहीं देंगे।


फिर क्या था, गांव वालों ने गांव खाली करने का निर्णय कर लिया और रातोंरात सभी 84 गांव आंखों से ओझल हो गए। जाते-जाते उन्होंने श्राप दिया कि आज के बाद इन घरों में कोई नहीं बस पाएगा। आज भी वहां की हालत वैसी ही है जैसी उस रात थी जब लोग इसे छोड़ कर गए थे।


आज भी है श्राप का असर:

पालीवाल ब्राह्मणों के श्राप का असर यहां आज भी देखा जा सकता है। जैसलमेर के स्थानीय निवासियों की मानें तो कुछ परिवारों ने इस जगह पर बसने की कोशिश की थी, लेकिन वह सफल नहीं हो सके। स्थानिय लोगों का तो यहां तक कहना है कि कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो वहां गए जरूर लेकिन लौटकर नहीं आए। उनका क्या हुआ, वे कहां गए कोई नहीं जानता।



यहां के धरती में दबा है सोना इसलिए आते हैं पर्यटक: 

पर्यटक यहां इस चाह में आते हैं कि उन्हें यहां दबा हुआ सोना मिल जाए। इतिहासकारों के मुताबिक पालीवाल ब्राह्मणों ने अपनी संपत्ति जिसमें भारी मात्रा में सोना-चांदी और हीरे-जवाहरात थे, उसे जमीन के अंदर दबा रखा था। यही वजह है कि जो कोई भी यहां आता है वह जगह-जगह खुदाई करने लग जाता है। इस उम्मीद से कि शायद वह सोना उनके हाथ लग जाए। यह गांव आज भी जगह-जगह से खुदा हुआ मिलता है।



पेरानार्मल सोसायटी की टीम ने कि कुलधरा में पड़ताल :-
मई 2013 मे दिल्ली से आई भूत प्रेत व आत्माओं पर रिसर्च करने वाली पेरानार्मल सोसायटी की टीम ने कुलधरा(Kuldhara) गांव में बिताई रात। टीम ने माना कि यहां कुछ न कुछ असामान्य जरूर है। टीम के एक सदस्य ने बताया कि विजिट के दौरान रात में कई बार मैंने महसूस किया कि किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, जब मुड़कर देखा तो वहां कोई नहीं था। 

पेरानॉर्मल सोसायटी के उपाध्यक्ष अंशुल शर्मा ने बताया था कि हमारे पास एक डिवाइस है जिसका नाम गोस्ट बॉक्स है। इसके माध्यम से हम ऐसी जगहों पर रहने वाली आत्माओं से सवाल पूछते हैं। कुलधरा में भी ऐसा ही किया जहां कुछ आवाजें आई तो कहीं असामान्य रूप से आत्माओं ने अपने नाम भी बताए। शनिवार चार मई की रात्रि में जो टीम कुलधरा गई थी उनकी गाडिय़ों पर बच्चों के हाथ के निशान मिले। टीम के सदस्य जब कुलधरा गांव में घूमकर वापस लौटे तो उनकी गाडिय़ों के कांच पर बच्चों के पंजे के निशान दिखाई दिए। (जैसा कि कुलधरा(Kuldhara) गई टीम के सदस्यों ने मीडिया को बताया )

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